विशेष संवाददाता द्वारा
राँची :पिछले कई वर्षों से झारखंड के प्राइवेट विश्वविद्यालय में लूट – खसोट तथा अनियमिकता का नंगा नाच हो रहा है
इन विश्वविद्यालयों में मोटी रकम लेकर केवल छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ कर रहा है साथ ही साथ छात्रों के अभिभावक अपनी गाढ़ी कमाई को पानी की तरह में बहते देख रहे हैं और विश्वविद्यालय के संस्थापक सह मालिक करोड़ों के अवैध कमाई कर रहे हैं !
इन सभी विश्वविद्यालयों का क्रमश:हम पर्दाफाश करते रहेंगे इसी क्रम में सबसे भ्रष्ट तरीके से एक रांची का जीरावर, चांदवे-कुचू रोड, ओरमांझी, स्थित विश्वविद्यालय साईं नाथ विश्वविद्यालय है जिसमें छात्रों का नामांकन बड़े – बड़े विज्ञापन देकर जाल में फंसा कर छात्रों का जीवन बर्बाद कर रहें है
इस विश्वविद्यालय में पीएचडी करने वाले छात्रों की बहुत ही बुरी हालत है , पहले तो पीएचडी कोर्स में छात्रों का नामांकन यूजीसी के मानक के अनुसार नहीं हुआ है ! साथ -साथ पीएचडी करने बाले छात्रों का कोई भी सुपरवाइजर नहीं है ! छात्रों को अपना थेसिस तैयार करने के बदले में एक लाख रुपैया विश्वविद्यालय फीस के अलावे देना पड़ रहा है! जिसके कारण साईं नाथ में पीएचडी कोर्स मजाक बन गया है !
दूसरी ओर झारखंड में सरकार के वरीय आईएएस अधिकारी श्री अरुण कुमार सिंह ,विकास आयुक्त बड़ी ही मेहनत से अभी एमिटी विश्वविद्यालय से अपने सुपरवाइजर के अंतर्गत पीएचडी कर रहे हैं! श्री सिंह नियमित कार्य की व्यस्तता के बावजूद भी एमिटी विश्वविद्यालय में प्रत्येक शनिवार को तीन से चार घंटे तक समय निकालकर अपना थेसिस तैयार करने में लगे हुए हैं !और साईं नाथ विश्वविद्यालय के मालिक पीएचडी कोर्स में करोड़ों रुपाए कमा रहे हैं
इसके साथ ही साथ इस विश्वविद्यालय से पास हुए तकनीकी छात्रों का भी बड़ी बुरी हालत है ! पास हुए तकनीकी छात्र दस हजार के नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे है ! क्योंकि छात्रों को तकनीकी पढ़ाई ठीक से नहीं हुआ हैजिसके कारण छात्र बहुत ही कमजोर रह गया है
इस विश्वविद्यालय में एक और अजीब बात यह भी है कि बहुत से कोर्सों में छात्रों के नामांकन के बाद छात्र अपने घर चले जाते हैं और इन छात्रों का दर्शन फिर परीक्षा के समय ही होता है !जिसमें कानूनी कोर्स तथा बी एड कोर्स कीचर्चा है !इस कोर्स में कोई प्राध्यापक नहीं है जिसके कारण छात्रों का नियमित पढ़ाई हो रहा है ! इन को केबल डिग्री मिलते जारहा है!
इसके अलावा कृषि कोर्सों में विश्वविद्यालय के पास जमीन और पोखर नहीं है जिसके कारण पूरी तरह कृषि कोर्स में अधूरा ज्ञान प्राप्त कर इस विश्वविद्यालय के छात्रों को कोई भी कंपनी में नौकरी में नहीं मिल रहा है !
जब कि साईं नाथ विश्वविद्यालय अपना प्रचार में निम्म बातें कहता है -रांची से 14 किमी दूर चंदवे-कुच्चू मार्ग पर ओरमांझी प्रखंड के जीरावार गांव में साईं एजुकेशन ट्रस्ट द्वारा संचालित साईं नाथ विश्वविद्यालय यहां पढ़नेवाले स्टूडेंट्स के लिए राेजगार के पर्याप्त अवसर मुहैया कराने के साथ उन्हें स्वराेजगार के लिए तैयार कर रहा है। विवि में स्टूडेंट्स काे उच्च गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के साथ ही साथ व्यावसायिक व तकनीकी शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है, ताकि झारखंड से प्रतिभा का पलायन रुक सके। विवि काे झारखंड सरकार और यूपीएससी से मान्यता प्राप्त है, जहां झारखंड के अलावा बिहार, बंगाल, उत्तरप्रेदश, अाेडिशा व छत्तीसगढ़ के युवा व्यावसायिक और तकनीकी शिक्षा प्राप्त करने के लिए पहुंच रहे हैं। कुलपति डॉ. एसपी अग्रवाल का कहना है कि विश्वविद्यालय का एकमात्रा उद्देश्य एक ही कैंपस में तकनीकी और राेजगारपरक काेर्स कराकर झारखंड के स्टूडेंट्स का न सिर्फ पलायन राेकना है, बल्कि उनकी क्षमता के अनुसार राेजगार उपलब्ध कराना और उन्हें स्वावलंबी बनाना है। विश्वविद्यालय में में बीएड, एमएड, इंजीनियरिंग (विभिन्न ट्रेड), बीबीए, एमबीए, कंप्यूटर साइंस,लॉ, नर्सिंग, हाेटल मैनेजमेंट के अलावा फैशन डिजाइनिंग हाेटल मैनेजमेंट, लाइब्रेरी साइंस सहित कई काेर्स संचालित हैं। स्टूडेंट्स के लिए अत्याधुनिक सुविधाओं से युक्त हॉस्टल की व्यवस्था कैंपस में ही की गई है।
दूसरी ओर साईं नाथ विश्वविद्यालय के बारे एक बेब साइट के अनुसार यह कहना है किझारखंड में खुले आम कुछ निजी विश्वविद्यालय छात्रों के भविष्य से खेल रहे हैं. जिस कोर्स की मान्यता भी नहीं रहती है, उस कोर्स में मोटी रकम लेकर नामांकन ले लेते हैं. दो साल तक कोर्स पूरा करने के बाद विश्वविद्यालय द्वारा डिग्री का सर्टिफिकेट भी जारी कर दिया जाता है. इस फर्जीवाड़े का जानकारी छात्रों को तब मिलती है, जब वह डिग्री को लेकर जॉब के लिए अप्लाई करते हैं. हालात यह है कि उनके डिग्री सर्टिफिकेट को सरकार भी वैल्यू नहीं देती. इस तरह छात्रों को उस डिग्री के आधार पर कहीं भी नौकरी नहीं मिल पाती है. ना ही वह बीटेक में नामांकन लेने के योग्य रह जाते हैं. ताजा मामला बोड़ेया-ओरमांझी रोड स्थित साईनाथ यूनिवर्सिटी का है. इस यूनिवर्सिटी को वर्ष 2016 से पहले एआइसीटीई की मान्यता नहीं थी. इसके बावजूद यूनिवर्सिटी ने डिग्री कोर्स में छात्रों का नामांकन लिया. यह काम करीब 10 साल तक होता रहा
जानकारी मिली है कि साईनाथ विश्वविद्यालय से जारी डिग्री कोर्स के सर्टिफिकेट को राज्य सरकार मान्यता नहीं देती है. एसबीटीई में चल रहे इंजीनियरिंग की काउंसलिंग में निजी विश्वविद्यालयों से डिप्लोमा किये बच्चों को लेटरल एंट्री के माध्यम से बीटेक में नामांकन नहीं दिया जा रहा है. एसबीटीई के अधिकारियों के मुताबिक साईनाथ विश्वविद्यालय के ज्यादातर बच्चों की डिग्रियां एआइसीटीई के अनुरूप नहीं है. इसके कारण इन विश्वविद्यालयों के बच्चों को बीटेक में लेटरल एंट्री नहीं दिया जाता है. वहीं रेलवे में डिप्लोमा स्तर की नौकरियों में भी छात्रों को मौका नहीं मिल रहा है. क्योंकि रेलवे बोर्ड भी इस डिग्री को मान्यता नहीं देता है. कुल मिलाकर इस विश्वविद्यालय से डिग्री कोर्स करने वाले छात्रों के ना सिर्फ पैसे बर्बाद हुए, बल्कि दो साल का वक्त और भविष्य भी खराब होता नजर आ रहा है.
साईनाथ विश्वविद्यालय वर्ष 2008 से चल रहा है. पहले यह बूटी मोड़ स्थित एक किराये के मकान में चलता था. अब बोरेया-ओरमांझी रोड में यूनिवर्सिटी का कैंपस है. इस यूनिवर्सिटी को वर्ष 2016 में एआइसीटीई की मान्यता मिली. लेकिन मान्यता मिलने से पहले भी यूनिवर्सिटी ने डिग्री कोर्स में 1000 से अधिक छात्रों का नामांकन लिया. दो साल तक कोर्स पढ़ाया और फिर छात्रों को डिप्लोमा की डिग्री दे दी. इस दौरान भी छात्रों ने कई बार विरोध किया. तब दो साल तक यूनिवर्सिटी ने डिग्री कोर्स में किसी भी छात्र का एडमिशन नहीं लिया. वर्ष 2016 में साईनाथ यूनिवर्सिटी ने एआइसीटीई से मान्यता प्राप्त किया. लेकिन जिन छात्रों को मान्यता मिलने से पहले यूनिवर्सिटी ने डिग्री सर्टिफिकेट जारी किया था, उन्हें अब लेटरल एंट्री नहीं मिल रही है. ना ही उन्हें कहीं नौकरी ही मिल रही है.
एसबीटीई के परीक्षा नियंत्रक सुरेंद्र कुमार ने न्यूज विंग को बताया कि निजी विश्वविद्यालय के छात्रों को लेटरल एंट्री के तहत बीटेक में नामांकन करने में काफी समस्या आती है. क्योंकि ज्यादातर छात्रों की डिग्रियां एआइसीटीई के अुनरूप नहीं होती हैं. बोर्ड के अंर्तगत जितने भी कॉलेज आते हैं उन्हें एआइसीटीई के नियमों के अनुसार कार्य करना होता है.
सरकार के उच्च शिक्षा एवं तकनीकी निदेशक अबू इमरान ने कहा कि डिप्लोमा की डिग्रियां निजी विश्वविद्यालयों की मान्य है, लेकिन वह एआइसीटीई के अनुरूप होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट का हवाला देकर निजी विश्वविद्यालय इन डिग्रियों को सही बताते हैं, लेकिन एक गंभीर समस्या यह है कि डिग्री जो बच्चों को दी जाती है, वह एआइसीटीई के अनुरूप नहीं दी जाती. क्योंकि निजी विश्वविद्यालय तीन साल के डिप्लोमा कोर्स को दो साल में करा रही है. ऐसे में डिग्रियों को मान्यता नहीं दी जाती है.
साईनाथ यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ एसपी अग्रवाल ने कहा कि यूजीसी एक्ट के अनुसार निजी विश्वविद्यालय को किसी से मान्यता लेने की आवश्यता नहीं है. हाल में ही इस दिशा में सुप्रीम कोर्ट का एक आदेश भी आया है. बच्चों को सही शिक्षा और डिग्री प्रदान की जा सके इसलिए साईनाथ यूनिवर्सिटी ने डिप्लोमा तकनीक, डिप्लोमा फार्मा, बीएड, लॉ आदि में संबंधित बोर्ड से मान्यता ले ली है.
ऐसे तो इनके बारे में लिखें तो पूरा का पूरा अखबार भर जाएगा और इनके अनंत कथा है!लेकिन इस विश्वविद्यालय के कुलपति श्री अग्रवाल जी के के बारे में कहना है की इनका जन – सम्पर्क बहुत ही जबरदस्त है !इनके पास हर समय गाड़ी में तरह-तरह के उपहार तथा हजारों रुपए से भरा हुआ लिफाफा रहता है और पूरे दिन नेताओं और अधिकारियों के कार्यालय और उनके निवास में चक्कर लगाते रहते हैं